Janmashtami 2023 Great Lessons From Krishna Life If You Want To Be Successful In Career Apply Lessons Astro Special

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Janmashtami 2023: भगवान श्रीकृष्ण जी को भगवान श्री हरि विष्णु जी का पूर्ण अवतार अंश माना जाता है. प्रभु इस पावन धरती पर अवतरित हुए, वह भी मानव रूप में, जिससे हम सभी मानवों को यह शिक्षा दे सकें कि जीवन में हमारे सामने कितने ही कष्ट क्यों ना आ जाएं, हमें उनका डटकर सामना करना चाहिए. तनिक सोचिए! योगीराज कहलाने वाले श्रीकृष्ण चंद्र जी महाराज का जन्म कितनी विकट परिस्थितियों में हुआ और संपूर्ण जीवन उनके ऊपर मृत्यु तुल्य कष्ट मंडराते रहे लेकिन वे सदैव मुस्कुराते रहे और हर चुनौती का उन्होंने पूरे साहस के साथ सामना किया. 

इस जन्माष्टमी के महान पर्व पर श्रीकृष्ण के जीवन से मिलने वाली उन महत्वपूर्ण सीखों को जानते हैं, जिनमें से यदि हम एक दो को भी अपने जीवन में उतार लें तो वास्तव में श्रीकृष्ण के उपदेशों का और उनके द्वारा प्रदान किए गए महान ब्रह्म ज्ञान का हमें फल मिल जाएगा और हमारा जीवन सफल हो जाएगा:-

श्रीकृष्ण ने सिखाया कि जीवन में चाहे कितनी भी चुनौतियां क्यों ना आ जाएं, हमें सदैव मुस्कुराते रहना चाहिए. इससे न केवल हमें देखकर अन्य लोग प्रेरित होंगे बल्कि हर समस्या को आसानी से सुलझाने में मदद मिलेगी.

श्रीकृष्ण ने सुदामा और अन्य सखाओं के माध्यम से हमें यह सिखाया कि मित्रता एक ऐसा बड़ा और सच्चा धर्म है, जो ना तो जाति-पाति देखता है और ना ही किसी प्रकार की अमीरी या गरीबी. मित्र को मित्र के रूप में उसकी कमियों के साथ स्वीकार करना ही सच्ची मित्रता है. यही कारण है कि जगत आज भी श्रीकृष्णा और सुदामा की मित्रता का उदाहरण प्रस्तुत करता है.

भगवान श्रीकृष्ण ने सभी से प्रेम का भाव दिया. श्रीकृष्ण का प्रेम मात्र स्त्री पुरुष का प्रेम नहीं, जो आजकल लोग सोचते हैं, बल्कि वह तो उससे कहीं ऊपर की बात है. वह संपूर्ण जगत को प्रेम देने वाले प्रभु हैं और वास्तव में वसुधैव कुटुंबकम का संदेश उन्हीं के द्वारा दिया गया है क्योंकि उनके अनुसार सभी जीवों से प्रेम करना चाहिए.

भगवान श्रीकृष्ण ने अपने जीवन में कभी गैया चराईं तो कभी पशु पक्षियों और ग्वाल बालों के साथ खेले. उन्होंने जीवों पर दया और प्रेम भाव दिखाने के लिए भी हमें प्रेरित किया है.

जब बार-बार कंस श्रीकृष्ण को मारने के लिए असुरों को भेजता और उसे अनेक ग्वाल बालों की क्षति होती तो उन सब के कष्ट को दूर करने के लिए स्वयं ही श्रीकृष्ण आगे बढ़े. यह एक नेतृत्वकर्ता नायक के रूप में श्रीकृष्ण का चित्रण है, जिससे हमें यह सीख मिलती है कि दूसरों के भले के लिए हमें स्वयं आगे बढ़कर प्रयास करना चाहिए.

भाई बहन के अटूट प्रेम को दर्शाते हुए भगवान श्रीकृष्ण ने द्रौपदी के चीर हरण के समय उसकी रक्षा की. इससे ज्यादा कोई भाई किसी बहन की रक्षा क्या कर सकता है. महिलाओं का सम्मान हमें श्रीकृष्ण जी ने ही सिखाया.

बाल कृष्ण, यशोदा नंदन, नंदलाल, माखन चोर, बंशीधर, मधुसूदन, नटवर, श्रीकृष्ण से रास रचैया होते हुए योगीराज श्रीकृष्ण चंद्र जी महाराज जो द्वारकाधीश बने, यह जीवन की ऐसी यात्रा है, जो पग पग पर हमें बहुत कुछ सिखाती है. भगवान श्रीकृष्ण ने ही मोहग्रस्त अर्जुन को अपने श्रीमुख से गीता जैसा दिव्य ज्ञान दिया, जो हमें जीवन की सभी उलझनों से निकालने में सक्षम है.

इस प्रकार हम देखें तो भगवान श्रीकृष्ण ने कदम-कदम पर हमें कुछ ना कुछ सिखाया है. वास्तव में जन्माष्टमी का शुभ पर्व भगवान श्रीकृष्ण के सिखाए रास्ते पर आगे बढ़ने का समय है और यह हमें प्रेरित करता है कि हमें भगवान द्वारा दिए गए रास्ते का अनुसरण करते हुए जीवन में एक अद्भुत व्यक्तित्व प्राप्त करने के लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए. ईश्वर की दृष्टि में सभी एक समान हैं, इसलिए हमें भी सभी को बराबरी की दृष्टि से देखना चाहिए.

स्मार्त लोगों के लिए पूजा का शुभ मुहूर्त 6 सितंबर, बुधवार की रात्रि में 11:57 से 12:41 बजे तक रहेगा. ऐसे सभी लोग जो गृहस्थ जीवन का पालन करते हैं और जिन्होंने वैष्णव दीक्षा नहीं ली हुई है, उन सभी के लिए 6 सितंबर को जन्माष्टमी का व्रत एवं श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाना शुभप्रद रहेगा. वैसे भी श्रीकृष्ण का जन्म अर्ध रात्रि में अष्टमी तिथि में चंद्रमा के वृषभ राशि और रोहिणी नक्षत्र के समय हुआ था जो कि 6 सितंबर की मध्य रात्रि को ही है. इस जयंती योग भी कहते हैं. वैष्णव लोगों के लिए पूजा का शुभ मुहूर्त 7 सितंबर, बृहस्पतिवार को रात्रि 11:56 से 12:41 बजे के बीच रहेगा.

यदि आप आम जनमानस हैं जो गृहस्थ जीवन का पालन करते हैं तो आपको 6 सितंबर को श्रीकृष्णा् जन्माष्टमी का व्रत रखना चाहिए और रात्रि 12:42 के बाद खीरे से भगवान श्री बालकृष्ण का जन्म करा कर श्रीकृष्ण जन्मोत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाना चाहिए.

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