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NDRF personnel during a search and rescue operation after a landslide at Irshalwadi village in Raiga
– फोटो : PTI
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इरसालवाडी हादसे से इलाके में मातम छा गया है। आंखों में आंसू, चेहरे पर तनाव और दबी आवाज के साथ रोते बिलखते चिंतित रिश्तेदार खराब मौसम के बावजूद अपने प्रियजनों का हाल जानने के लिए इकट्ठा हैं। दिल दहला देने वाला यह दृश्य उस पहाड़ी के नीचे देखा गया जहां राहत और बचाव कार्य का समन्वय किया जा रहा था। हलांकि इनमें कुछ लोग भाग्यशाली रहे जो कहर बनकर टूटे पहाड़ की चपेट में आने से बच गए।
कुदरत की कहर से जीवित बची एक बूढ़ी महिला ने रो-रोकर बताया कि मैंने सब कुछ खो दिया। मलबे की ओर अंगुली दिखाते हुए कहती है कि मेरा परिवार वहां है। कृपया उन्हें बचा लें। इस हादसे में जयश्री नाम की एक छोटी लड़की जीवित बच गई क्योंकि वह बस्ती से थोड़ी दूर आश्रम शाला में थी। लेकिन उसके माता-पिता लापता हैं। जिंदा बचने वालों में राजेन्द्र पारधी भाग्यशाली रहे जो स्कूल में थे और पहाड़ दरकने की तेज आवाज से चौककर उठे। चीख-पुकारकर के बीच राजेन्द्र ने मलबे में धंसे अपने पिता को तो जीवित बाहर निकाल लिया लेकिन, अपने बड़े भाई और बच्चों को नहीं बचा सके। मोहन पारधी भी मलबे में फंसी पत्नी और बेटी को किसी तरह खींचकर बाहर निकाला। मोहन की पत्नी घायल है जिनका त्वरित उपचार किया गया है। वहीं, कुछ स्थानीय लोग मछली पकड़ने गए थे देर रात लौटे थे। उन्होंने यह त्रासदी देख धान के खेत में शरण ली और पानी से लबालब खेत में ही रात गुजारी। उन्हें नहीं पता कि उनके अपने सगे संबंधी कहां हैं। इस बस्ती में 6 से 25 साल के कई बच्चे और युवक थे जिनमें से अधिकतर लोग लापता है। लोग अपनों को पाने के लिए इरसाल देवी से प्रार्थना कर रहे हैं।
इरसालवाड़ी चेतावनी है, पहाडियों में खदान पर लगे प्रतिबंध
इरसालवाड़ी त्रासदी को पर्यावरणप्रेमियों ने चेतावनी करार देते हुए पहाड़ियों पर खनन पर तत्काल प्रतिबंध लगाने की मांग की है। साथ ही, देश की आर्थिक राजधानी मुंबई से सटे रायगढ़ और ठाणे के संवेदनशील पर्यावरण क्षेत्रों का गहन अध्ययन करने का आह्वान किया है। नेटकनेक्ट फाउंडेशन और श्रीएकविरा आई प्रतिष्ठान ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को भेजे ईमेल में कहा है कि निरंतर विस्फोट से पहाड़ियों की ढलान पर मिट्टी कमजोर होती है, जिससे भूस्खलन का खतरा पैदा होता है। नेट कनेक्ट के निदेशक बीएन कुमार ने कहा कि रायगढ़ जिले में विभिन्न स्थानों पर खदानें चालू हैं। अब समय आ गया है कि अंधाधुंध खनन को रोकने के लिए पहाड़ी विकास नियामक प्राधिकरण का गठन किया जाए।
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