लेबनान में पेजर से हिज़बुल्लाह के लड़ाकों पर हमला

साभार: दैनिक भास्कर

आज ही लेबनान में हिज़बुल्लाह के सदस्यों पर हमलों की एक श्रृंखला ने एक बार फिर से इस क्षेत्र में अस्थिरता को उजागर कर दिया है। इन हमलों में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उपयोग कर हिज़बुल्लाह के आतंकियों को निशाना बनाया गया, जिसमें कई आतंकी हताहत हुए। हिज़बुल्लाह, जो कि लेबनान में एक प्रभावशाली राजनीतिक, सैन्य और आतंकी संगठन है, लंबे समय से इस क्षेत्र में अपनी गतिविधियों के लिए चर्चा में रहा है।

हिज़बुल्लाह का गठन 1980 के दशक में हुआ था और यह शुरू से ही इजराइल विरोधी लड़ाई में शामिल रहा है। इस संगठन ने लेबनान के भीतरी और बाहरी दुनिया में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। इसे ईरान का समर्थन प्राप्त है और यह समूह लेबनान की राजनीति में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

साभार: राजस्थान पत्रिका

लेबनान में हाल ही में हिज़बुल्लाह के सदस्यों को निशाना बनाकर कई हमले हुए। इन हमलों में पेजर जैसे छोटे विस्फोटक उपकरणों का इस्तेमाल किया गया, जिससे कई जगहों पर विस्फोट हुए। माना जा रहा है कि यह हमले हिज़बुल्लाह के विरोधी समूहों द्वारा किए गए हैं, जिनका उद्देश्य संगठन को कमजोर करना है।

इन हमलों में पेजर जैसे उपकरणों का उपयोग यह दिखाता है कि हमलावर नई तकनीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं। छोटे और आसानी से छुपाए जा सकने वाले ये उपकरण सटीकता से हमला करने में सक्षम हैं, जिससे इनका इस्तेमाल आतंकी समूहों में तेजी से बढ़ रहा है।

हिज़बुल्लाह लेबनान की सरकार में एक प्रमुख खिलाड़ी है और इस संगठन पर होने वाले हमलों का सीधा असर देश की राजनीति पर पड़ता है। हिज़बुल्लाह के विरोधियों का मानना है कि इस संगठन का बढ़ता प्रभाव लेबनान की सुरक्षा और स्थिरता के लिए खतरा है। दूसरी ओर हिज़बुल्लाह के समर्थक इसे एक प्रतिरोधक बल के रूप में देखते हैं जो लेबनान की संप्रभुता की रक्षा करता है।

इस तरह के हमलों के बाद स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई तरह की प्रतिक्रियाएँ सामने आई हैं। एक ओर कुछ समूह हिज़बुल्लाह के कमजोर होने की संभावना को देख रहे हैं तो दूसरी ओर इसके समर्थक इस संगठन को और मजबूत करने की बात कर रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वैश्विक संघटनों ने इस क्षेत्र की अस्थिरता पर चिंता जताई है और कई देशों ने इस हिंसा को समाप्त करने की अपील भी की है।

इन हमलों के बीच लेबनान का भविष्य अनिश्चित दिखता है। देश पहले से ही आर्थिक और सामाजिक समस्याओं से जूझ रहा है और इस तरह के हमले उसकी अस्थिरता को और बढ़ा सकते हैं। हिज़बुल्लाह का भविष्य भी इन घटनाओं के आधार पर तय होगा और यह देखना दिलचस्प होगा कि यह संगठन इन चुनौतियों का सामना कैसे करता है।

हालाँकि हिज़बुल्लाह का मानना है कि हमले इजराइल ने कराये हैं मगर इसमें दूसरे धड़े ने प्रतिद्वंदी संघठनों की संलिप्तता से इंकार नहीं किया है। हिज़बुल्लाह पर हमले न केवल इस क्षेत्र की राजनीतिक जटिलताओं को दर्शाते हैं, बल्कि यह भी दिखाते हैं कि किस तरह से आतंकवादी हमलों की प्रकृति बदल रही है। इन घटनाओं के परिणामस्वरूप लेबनान और मध्य पूर्व में और अधिक अशांति देखने को मिल सकती है।