तिहाड़ जेल के पूर्व अधीक्षक ने एक चौंकाने वाला दावा किया है कि सहारा समूह के प्रमुख, सुब्रत रॉय, जब तिहाड़ जेल में बंद थे, तब उन्होंने एक महिला सचिव नियुक्त की थी और उनसे मिलने आने वालों में एयर होस्टेस भी शामिल थीं। यह दावा जेल प्रशासन और न्यायिक प्रणाली में संभावित खामियों की ओर संकेत करता है, जहां प्रभावशाली व्यक्तियों को विशेष सुविधाएं मिलती हैं।

साभार : Jansatta
सुब्रत रॉय की गिरफ्तारी और तिहाड़ में कैद
सुब्रत रॉय, सहारा समूह के संस्थापक, को निवेशकों के धन की वापसी में असफलता के कारण 4 मार्च 2014 को तिहाड़ जेल भेजा गया था। सुप्रीम कोर्ट ने सहारा समूह की दो कंपनियों—सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉरपोरेशन और सहारा हाउसिंग इनवेस्टमेंट कॉरपोरेशन—को निवेशकों के 24,029 करोड़ रुपये 15% वार्षिक ब्याज सहित लौटाने का आदेश दिया था। इस आदेश का पालन न करने पर रॉय को जेल भेजा गया।
जेल में विशेष सुविधाएं
तिहाड़ जेल में रहते हुए, रॉय ने अपनी सुविधाओं के लिए जेल प्रशासन को 1.23 करोड़ रुपये का भुगतान किया। यह राशि उन्हें विशेष सुविधाएं प्रदान करने के लिए ली गई थी, जो सामान्य कैदियों को उपलब्ध नहीं होतीं। अधिकारियों के अनुसार, इस राशि से जेल में बंद 200 कैदियों का पूरे एक साल का खर्च उठाया जा सकता है।
महिला सचिव और एयर होस्टेस की मुलाकातें
पूर्व अधीक्षक के अनुसार, रॉय ने जेल में एक महिला सचिव नियुक्त की थी, जो नियमित रूप से उनसे मिलने आती थीं। इसके अलावा, एयर होस्टेस भी उनसे मुलाकात करने आती थीं। यह दावा जेल में वीआईपी कैदियों को मिलने वाली विशेष सुविधाओं और नियमों के उल्लंघन की ओर इशारा करता है।
जेल प्रशासन की प्रतिक्रिया
जेल प्रशासन ने इन दावों पर टिप्पणी करने से इनकार किया है। हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब तिहाड़ जेल में वीआईपी कैदियों को विशेष सुविधाएं मिलने के आरोप लगे हैं। इससे पहले भी कई मामलों में प्रभावशाली कैदियों को विशेष सुविधाएं मिलने की खबरें सामने आई हैं।

साभार : Times of India
न्यायिक प्रणाली पर प्रभाव
इस घटना ने न्यायिक प्रणाली और जेल प्रशासन में सुधार की आवश्यकता को उजागर किया है। यह महत्वपूर्ण है कि सभी कैदियों के साथ समान व्यवहार हो और किसी को भी विशेष सुविधाएं न मिलें, चाहे वे कितने भी प्रभावशाली क्यों न हों।
निष्कर्ष
सुब्रत रॉय के तिहाड़ जेल में रहने के दौरान मिली विशेष सुविधाओं और मुलाकातों के दावों ने जेल प्रशासन और न्यायिक प्रणाली में पारदर्शिता और समानता की आवश्यकता को फिर से सामने लाया है। यह आवश्यक है कि ऐसे मामलों की गहन जांच हो और सुनिश्चित किया जाए कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।
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