कश्मीर-का-सच

भूमिका: कश्मीर केवल एक राज्य नहीं, एक भावना है। भारत का मुकुट कहा जाने वाला यह क्षेत्र ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से बेहद संवेदनशील रहा है। आज हम आपको बताएंगे कश्मीर की पूरी कहानी, 1947 से लेकर आज तक – जिसमें शामिल है पाकिस्तान का षड्यंत्र, नेहरू और जिन्ना की भूमिका, और कश्मीर की उस सच्चाई को जो शायद लोगों को जाननी चाहिए।

  1. बंटवारे का समय और कश्मीर की स्थिति (1947) – 1947 में भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के समय कश्मीर एक रियासत थी, जिसका शासक हिन्दू था – महाराजा हरि सिंह, जबकि वहां की बहुसंख्यक आबादी मुस्लिम थी। भारत या पाकिस्तान में शामिल होना, या स्वतंत्र रहना – तीनों विकल्प हर रियासत के पास थे। महाराजा हरि सिंह शुरू में स्वतंत्र रहना चाहते थे।

लेकिन पाकिस्तान ने अपनी योजना बनाई। उसने कश्मीर को जबरन हथियाने के लिए कबायलियों को भेजा। 22 अक्टूबर 1947 को ये कबायली कश्मीर में घुस आए और बारामूला तक पहुंच गए। तब महाराजा हरि सिंह ने भारत से मदद मांगी। भारत की शर्त थी – कश्मीर का भारत में विलय। 26 अक्टूबर 1947 को विलय पत्र पर हस्ताक्षर हुए। फिर भारतीय सेना ने पाकिस्तान समर्थित कबायलियों को खदेड़ना शुरू किया।

  1. भारत-पाक (Bharat V/s Pak) पहला युद्ध और संयुक्त राष्ट्र की भूमिका (1947-48) – भारतीय सेना ने कई क्षेत्रों को पाकिस्तान के कब्जे से मुक्त करा लिया, लेकिन जनवरी 1948 में भारत यह मुद्दा संयुक्त राष्ट्र संघ में ले गया। वहाँ युद्धविराम की मांग की गई।

1 जनवरी 1949 को युद्धविराम हुआ और जो क्षेत्र पाकिस्तान के कब्जे में रह गया, वह आज ‘पाक अधिकृत कश्मीर’ (PoK) कहलाता है। ये भारत की एक ऐतिहासिक भूल मानी जाती है कि युद्ध जीतते हुए भी हमने उसे रोक दिया।

  1. अनुच्छेद 370 और विशेष दर्जा – कश्मीर के भारत में विलय के बावजूद वहां अनुच्छेद 370 के तहत एक विशेष दर्जा दिया गया, जो उसे अलग संविधान और अलग झंडे की अनुमति देता था। इससे कश्मीर में अलगाववाद को बढ़ावा मिला।

इसके अलावा अनुच्छेद 35A के तहत बाहरी लोगों को कश्मीर में जमीन खरीदने की अनुमति नहीं थी। ये प्रावधान कई सालों तक विवादों का कारण रहे।

  1. 1965 और 1971 के युद्ध – 1965 में पाकिस्तान ने फिर से कश्मीर को हथियाने के लिए ‘ऑपरेशन जिब्राल्टर’ चलाया, जिसमें उसने अपने सैनिकों को घुसपैठिया बनाकर भेजा। भारत ने जोरदार जवाब दिया और कई पाकिस्तानी क्षेत्रों पर कब्जा भी किया। अंत में ताशकंद समझौता हुआ।

1971 में बांग्लादेश युद्ध के बाद भारत ने 90,000 पाकिस्तानी सैनिकों को बंदी बनाया। इस समय भी कश्मीर को लेकर भारत को मजबूत स्थिति में मौका मिला था, लेकिन शिमला समझौते के तहत भारत ने कूटनीतिक रूप से पाकिस्तान को राहत दी।

  1. आतंकवाद की शुरुआत और घाटी की स्थिति (1989 के बाद) – 1989 में कश्मीर घाटी में आतंकवाद ने गंभीर रूप ले लिया। पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों जैसे हिजबुल मुजाहिद्दीन, लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद ने स्थानीय युवाओं को भड़काकर हिंसा शुरू की।

इस दौरान कश्मीरी पंडितों का नरसंहार हुआ और उन्हें घाटी छोड़नी पड़ी। लगभग 4 लाख कश्मीरी पंडित बेघर हो गए। आज भी यह भारत का एक सबसे बड़ा मानवीय संकट माना जाता है।

  1. अनुच्छेद 370 (Article 370) का हटना (2019) – 5 अगस्त 2019 को नरेंद्र मोदी सरकार ने एक ऐतिहासिक फैसला लिया। संसद में अनुच्छेद 370 और 35A को समाप्त कर दिया गया। जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जे से मुक्त कर दिया गया और दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया गया – जम्मू-कश्मीर और लद्दाख।

इस फैसले के बाद कश्मीर में बड़े पैमाने पर शांति और विकास की प्रक्रिया शुरू हुई। निवेश, उद्योग और रोजगार के नए अवसर खुले।

  1. आज का कश्मीर: नई उम्मीदें और चुनौतियाँ – आज कश्मीर धीरे-धीरे सामान्य हो रहा है। स्कूल, कॉलेज खुल रहे हैं, इंटरनेट सेवाएं बहाल हैं और आतंक की घटनाएं कम हुई हैं।

हालांकि पाकिस्तान अब भी PoK को लेकर दुष्प्रचार करता है और सीमापार से आतंकी भेजने की कोशिश करता है। लेकिन भारत सेना और कूटनीति दोनों मोर्चों पर सजग है।
8. कश्मीर की संस्कृति और सुंदरता – कश्मीर केवल एक भू-राजनीतिक मुद्दा नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक धरोहर भी है। इसकी खूबसूरत वादियाँ, डल झील, शालीमार बाग, और कश्मीरी कला  सब भारत की विविधता को दर्शाते हैं।

कश्मीरी शॉल, कागज़ी बादाम, केसर और सूफी संगीत – यह सब कश्मीर की आत्मा है। यहां के लोग शांति और प्रेम चाहते हैं, जिनका उपयोग आतंकियों ने किया। लेकिन अब बदलाव की लहर शुरू हो चुकी है।

निष्कर्ष –  कश्मीर भारत का अभिन्न अंग था, है और रहेगा। 1947 से लेकर आज तक की यात्रा में भारत ने कश्मीर को बचाने के लिए अनगिनत कुर्बानियाँ दी हैं। अब समय है एकता और विकास का।

आइए हम सब मिलकर ‘नया कश्मीर’ बनाएं – जो शांत, समृद्ध और सबका हो।

साभार : Jammu Kashmir Now

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