भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच तुर्की की भूमिका संदेहास्पद

भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया तनाव के बीच तुर्की की भूमिका ने नई दिल्ली में चिंता बढ़ा दी है। विशेष रूप से, तुर्की के युद्धपोत TCG Buyukada का कराची बंदरगाह पर आगमन और तुर्की के सैन्य कार्गो विमानों की पाकिस्तान में लैंडिंग ने क्षेत्रीय मीडिया का ध्यान आकर्षित किया है। हालांकि तुर्की ने इन घटनाओं को “सौहार्दपूर्ण यात्रा” बताया है, लेकिन इनकी टाइमिंग ने इनकी मंशा पर सवाल उठाए हैं।

तुर्की-पाकिस्तान रक्षा सहयोग

तुर्की और पाकिस्तान के बीच रक्षा सहयोग कोई नया नहीं है, लेकिन हाल के वर्षों में यह संबंध और मजबूत हुआ है। 2021 में दोनों देशों ने संयुक्त हथियार उत्पादन के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। तब से, तुर्की पाकिस्तान को ड्रोन, युद्धपोत और अन्य सैन्य उपकरण प्रदान कर रहा है। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) के अनुसार, 2020 से 2024 के बीच तुर्की के कुल हथियार निर्यात का 10% हिस्सा पाकिस्तान को गया है।


कराची में तुर्की युद्धपोत की उपस्थिति

पिछले सप्ताह, तुर्की का युद्धपोत TCG Buyukada कराची बंदरगाह पर पहुंचा, जिससे भारत के रक्षा विशेषज्ञों ने चिंता व्यक्त की है। इससे कुछ दिन पहले, तुर्की के C-130 हरक्यूलिस सैन्य कार्गो विमान ने भी पाकिस्तान में लैंड किया था। हालांकि तुर्की ने इन घटनाओं को “सौहार्दपूर्ण यात्रा” बताया, लेकिन इनकी टाइमिंग और संदर्भ ने इनकी मंशा पर सवाल उठाए हैं।

साभार : Nanbharat Times – Indiatimes

भारत की प्रतिक्रिया

भारत ने तुर्की के इन कदमों पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल ने भारत और तुर्की के बीच उड़ानों को निलंबित करने का सुझाव दिया है। इसके अलावा, कई विश्लेषकों ने तुर्की के इस व्यवहार को भारत-विरोधी बताया है और भारत से तुर्की के साथ अपने संबंधों की पुनः समीक्षा करने का आग्रह किया है।


वैश्विक परिप्रेक्ष्य

जहां तुर्की पाकिस्तान का समर्थन कर रहा है, वहीं अन्य प्रमुख वैश्विक खिलाड़ी जैसे चीन, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात ने पाकिस्तान से दूरी बनाई है। पाहलगाम हमले के बाद, सऊदी अरब और यूएई ने इस हमले की कड़ी निंदा की है, जबकि चीन ने संयम बरतने की अपील की है। यह पाकिस्तान के लिए एक कूटनीतिक झटका है, जो पहले इन देशों का समर्थन प्राप्त करता था।

निष्कर्ष

तुर्की और पाकिस्तान के बीच बढ़ते रक्षा संबंध भारत के लिए चिंता का विषय हैं। हालांकि तुर्की ने अपने कदमों को “सौहार्दपूर्ण” बताया है, लेकिन उनकी टाइमिंग पर सवाल उठाए गए हैं। भारत को अपने रणनीतिक हितों की रक्षा के लिए तुर्की के साथ अपने संबंधों की पुनः समीक्षा करनी होगी और आवश्यक कदम उठाने होंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published.