व्हाइट हाउस में गरमाया माहौल, ट्रम्प और ज़ेलेंस्की के बीच तीखी बहस

हाल ही में व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की के बीच एक महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसका उद्देश्य यूक्रेन के खनिज संसाधनों पर एक समझौते पर हस्ताक्षर करना था। यह समझौता रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा था। व्हाइट हाउस में हुई एक बैठक के दौरान दोनों नेताओं के बीच तीखी बहस हुई, जिसके परिणामस्वरूप जेलेंस्की को व्हाइट हाउस से बाहर जाने के लिए कहा गया, संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस रद्द कर दी गई और समझौते पर हस्ताक्षर नहीं हो सके।

साभार : Amar Ujala

बैठक की पृष्ठभूमि

यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे युद्ध को समाप्त करने के प्रयास में, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने जेलेंस्की को व्हाइट हाउस में आमंत्रित किया था। उद्देश्य था शांति वार्ता की संभावनाओं पर चर्चा करना और यूक्रेन को आवश्यक समर्थन प्रदान करना। हालांकि, बैठक के दौरान दोनों नेताओं के बीच मतभेद उभर कर सामने आए, जो बाद में तीखी बहस में बदल गए।

व्हाइट हाउस में प्रेस कॉन्फ्रेंस के समय क्या हुआ?

बैठक के दौरान, राष्ट्रपति ट्रम्प और राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की के बीच तीखी बहस हुई। ट्रम्प ने ज़ेलेंस्की पर “तीसरे विश्व युद्ध के साथ जुआ खेलने” का आरोप लगाया, जिससे तनाव और बढ़ गया। इस बहस के परिणामस्वरूप, दोनों नेताओं के बीच प्रस्तावित खनिज समझौते पर हस्ताक्षर रद्द कर दिए गए, और संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस भी रद्द कर दी गई। 

बहस के प्रमुख बिंदु

  1. शांति वार्ता पर असहमति: ट्रम्प ने जेलेंस्की पर रूस के साथ शांति वार्ता में तेजी लाने का दबाव डाला, जबकि जेलेंस्की ने सुरक्षा गारंटी के बिना किसी भी समझौते में शामिल होने से इनकार किया।
  2. नेतृत्व पर सवाल: ट्रम्प ने जेलेंस्की को “चुनाव के बिना तानाशाह” कहा, जो यूक्रेनी राष्ट्रपति के लिए अपमानजनक था।
  3. अमेरिकी समर्थन पर चर्चा: जेलेंस्की ने अमेरिका से ठोस सुरक्षा गारंटी की मांग की, जबकि ट्रम्प ने यूक्रेन को प्रदान की जा रही सहायता पर सवाल उठाए।

बैठक का परिणाम

तीखी बहस के बाद, ट्रम्प ने अपने अधिकारियों को जेलेंस्की को व्हाइट हाउस से बाहर जाने के लिए कहने का निर्देश दिया। इसके साथ ही, दोनों नेताओं की संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस भी रद्द कर दी गई। जेलेंस्की ने माफी मांगने से इनकार करते हुए कहा कि वे बिना सुरक्षा गारंटी के किसी भी शांति समझौते में शामिल नहीं होंगे।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

इस घटना के बाद, यूरोप के कई नेताओं ने जेलेंस्की के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया है। नॉर्वे, नीदरलैंड, पोलैंड, यूरोपीय यूनियन, जर्मनी, ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया ने यूक्रेनी राष्ट्रपति के प्रति एकजुटता दिखाई है।

खनिज समझौते के पहलू और छिपी हुई शर्तें

प्रस्तावित खनिज समझौते के अनुसार, यूक्रेन के राज्य-स्वामित्व वाले खनिज संसाधनों से होने वाले लाभ का 50% संयुक्त राज्य अमेरिका को मिलना था, जो पहले के सैन्य समर्थन के बदले में था। यह समझौता न केवल दुर्लभ खनिजों, बल्कि यूरेनियम, लिथियम, तेल, गैस और कुछ बंदरगाह राजस्व सहित यूक्रेन के सभी प्राकृतिक संसाधनों के आर्थिक मूल्य को शामिल करता था। इसके अलावा, समझौते में यह भी निर्दिष्ट किया गया था कि अमेरिकी कंपनियों को यूक्रेन के दुर्लभ खनिज भंडार में 50% स्वामित्व मिलेगा।

यूक्रेन में इस समझौते को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएं थीं। कुछ लोग अमेरिकी निवेश को एक निवारण के रूप में देखते थे, जबकि अन्य, विशेष रूप से बिज़नेस लीडर्स ने, बिना ठोस सुरक्षा गारंटी और उचित रिटर्न के संसाधनों को सौंपने के बारे में चिंतित थे। उदाहरण के लिए, वेल्टा इल्मेनाइट खदान के प्रमुख ओस्ताप कोस्टियुक ने सुरक्षा गारंटी के बिना इस तरह के समझौते पर चिंता जताई।

निष्कर्ष

व्हाइट हाउस में हुई यह बैठक और उसके बाद की घटनाएं यूक्रेन और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच संबंधों में तनाव को दर्शाती हैं। खनिज समझौते की शर्तें और सुरक्षा गारंटी की कमी ने यूक्रेन में चिंताओं को बढ़ाया है। आगे बढ़ते हुए, यह महत्वपूर्ण होगा कि दोनों देश एक समझौते पर पहुंचें जो यूक्रेन की संप्रभुता और सुरक्षा को सुनिश्चित करे, साथ ही आर्थिक विकास को भी प्रोत्साहित करे।

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