भारत सरकार ने हाल ही में उत्तराखंड के दो प्रमुख तीर्थ स्थलों—केदारनाथ धाम और हेमकुंड साहिब—को रोपवे से जोड़ने की महत्वाकांक्षी परियोजनाओं को मंजूरी दी है। इन रोपवे परियोजनाओं का उद्देश्य श्रद्धालुओं की यात्रा को सुगम, सुरक्षित और समयबद्ध बनाना है, जिससे पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।

केदारनाथ रोपवे परियोजना
केदारनाथ धाम, जो चार धामों में से एक है, तक पहुंचना अब तक एक चुनौतीपूर्ण कार्य रहा है। गौरीकुंड से केदारनाथ तक की लगभग 16 किलोमीटर की पैदल यात्रा श्रद्धालुओं के लिए कठिनाई भरी होती है, विशेषकर बुजुर्गों और शारीरिक रूप से कमजोर व्यक्तियों के लिए। इस समस्या के समाधान हेतु गौरीकुंड से केदारनाथ तक लगभग 9.7 किलोमीटर लंबा रोपवे बनाया जाएगा।
इस रोपवे के माध्यम से यात्रा का समय वर्तमान में लगने वाले घंटों से घटकर मात्र 25-30 मिनट रह जाएगा, जिससे श्रद्धालुओं को अत्यंत सुविधा होगी।
हेमकुंड साहिब रोपवे परियोजना
हेमकुंड साहिब, जो सिख समुदाय का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है, तक पहुंचने के लिए वर्तमान में गोविंदघाट से घांघरिया तक की यात्रा के बाद लगभग 5 किलोमीटर की पैदल चढ़ाई करनी पड़ती है। यह मार्ग भीषण मौसम और कठिन भू-भाग के कारण चुनौतीपूर्ण होता है। इसको ध्यान में रखते हुए गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब तक लगभग 12.4 किलोमीटर लंबा रोपवे प्रस्तावित किया गया है, जिससे यात्रा का समय घटकर मात्र 45 मिनट रह जाएगा।
परियोजनाओं की लागत और समयसीमा
केदारनाथ रोपवे परियोजना की अनुमानित लागत लगभग 1,200 करोड़ रुपये है, जबकि हेमकुंड साहिब रोपवे के लिए लगभग 850 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया है। दोनों परियोजनाओं को वर्ष 2026 तक पूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया है।
इन रोपवे के निर्माण से न केवल तीर्थ यात्रियों को सुविधा होगी, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलेगा, क्योंकि पर्यटन से संबंधित व्यवसायों में वृद्धि होगी।
पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभाव
रोपवे परियोजनाओं के निर्माण में पर्यावरणीय संतुलन का विशेष ध्यान रखा जाएगा। वन भूमि हस्तांतरण और पेड़ों की कटाई जैसी प्रक्रियाओं में पर्यावरणीय मानकों का पालन सुनिश्चित किया जाएगा। इसके अलावा, स्थानीय समुदायों की आजीविका और संस्कृति पर प्रभाव को न्यूनतम रखने के लिए विशेष प्रयास किए जाएंगे। परियोजनाओं के दौरान स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर प्रदान करने की भी योजना है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।

निष्कर्ष
केदारनाथ और हेमकुंड साहिब रोपवे परियोजनाएं उत्तराखंड के पर्यटन और तीर्थाटन के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होंगी। इनसे न केवल श्रद्धालुओं की यात्रा सुगम होगी, बल्कि राज्य की आर्थिक विकास में भी योगदान मिलेगा। सरकार और संबंधित एजेंसियां इन परियोजनाओं को समय पर और पर्यावरणीय मानकों के अनुसार पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जिससे आने वाले वर्षों में उत्तराखंड में पर्यटन का नया अध्याय लिखा जाएगा।
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