GST विभाग की मनमानी पर हाईकोर्ट की सख्ती ठोका ₹5000 का जुर्माना

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में जीएसटी विभाग पर 5,000 रुपये का जुर्माना लगाया है। यह मामला एक व्यापारी द्वारा दायर याचिका से संबंधित है, जिसमें जीएसटी विभाग द्वारा अनुचित ढंग से कार्यवाही करने का आरोप लगाया गया था।

साभार : Navbharat Times – Indiatimes

मामले की पृष्ठभूमि:

प्रयागराज के एक व्यापारी ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि जीएसटी विभाग ने उनके खिलाफ बिना उचित कारण के कार्यवाही की है। व्यापारी का कहना था कि उन्होंने सभी आवश्यक करों का भुगतान समय पर किया है और विभाग की कार्यवाही अनुचित और उत्पीड़नकारी है।

न्यायालय की टिप्पणी:

न्यायमूर्ति ने मामले की सुनवाई के दौरान पाया कि जीएसटी विभाग ने बिना पर्याप्त साक्ष्य और कारण के व्यापारी के खिलाफ कार्यवाही शुरू की थी। न्यायालय ने इसे विभाग की लापरवाही और अधिकारों का दुरुपयोग माना। इसलिए, न्यायालय ने जीएसटी विभाग पर 5,000 रुपये का जुर्माना लगाया और आदेश दिया कि यह राशि व्यापारी को मुआवजे के रूप में दी जाए।

अन्य संबंधित मामले:

यह पहली बार नहीं है जब न्यायालयों ने सरकारी विभागों पर अनुचित कार्यवाही के लिए जुर्माना लगाया है। हाल ही में, झारखंड उच्च न्यायालय ने हेहल के अंचलाधिकारी पर 5,000 रुपये का जुर्माना लगाया था, क्योंकि उन्होंने न्यायालय के आदेश का पालन नहीं किया था।

इसी प्रकार, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक अवमानना याचिका में 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया, जहां याचिकाकर्ता ने न्यायालय की प्रक्रिया का दुरुपयोग किया था।

न्यायालय की सख्ती:

इन मामलों से स्पष्ट होता है कि न्यायालय सरकारी विभागों और अधिकारियों की लापरवाही और अनुचित कार्यवाहियों के प्रति सख्त रुख अपना रहा है। न्यायालय का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सरकारी अधिकारी अपने कर्तव्यों का पालन सही ढंग से करें और नागरिकों के अधिकारों का उल्लंघन न हो।

निष्कर्ष:

इलाहाबाद उच्च न्यायालय का यह निर्णय सरकारी विभागों के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश है कि वे अपनी शक्तियों का दुरुपयोग न करें और नागरिकों के साथ न्यायपूर्ण व्यवहार करें। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि न्यायपालिका नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए तत्पर है और किसी भी प्रकार की लापरवाही या दुरुपयोग को बर्दाश्त नहीं करेगी।

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